Follow Us @viratamitraj

Thursday, 8 February 2018

दीपदान



जल, रे दीपक, जल तू
जिनके आगे अँधियारा है, 
उनके लिए उजल तू


जोता, बोया, लुना जिन्होंने
श्रम कर ओटा, धुना जिन्होंने
बत्ती बँटकर तुझे संजोया, 
उनके तप का फल तू
जल, रे दीपक, जल तू



अपना तिल-तिल पिरवाया है
तुझे स्नेह देकर पाया है
उच्च स्थान दिया है घर में 
रह अविचल झलमल तू
जल, रे दीपक, जल तू



चूल्हा छोड़ जलाया तुझको
क्या न दिया, जो पाया, तुझका
भूल न जाना कभी ओट का 
वह पुनीत अँचल तू
जल, रे दीपक, जल तू



कुछ न रहेगा, बात रहेगी
होगा प्रात, न रात रहेगी
सब जागें तब सोना सुख से 
तात, न हो चंचल तू
जल, रे दीपक, जल तू!

लेखक -मैथिलीशरण गुप्त


2 comments:

  1. जुड़िये Ad Click Team से और बढ़ाइए अपने ब्लॉग वेबसाईट की इनकम और विजिटर संख्या ........

    ReplyDelete

I really value readers who comment, so I’m here to say THANK YOU!